ओ रे बाबा हम चाँदी नहीं माँगते | पीयूष मिश्रा, मैं जाना चाहता हूँ अमेरिका | पीयूष मिश्रा, आरम्भ है प्रचण्ड बोल मस्तको के झुण्ड | पीयूष मिश्रा, Atal Bihari Vajpayee Poems | अटल बिहारी वाजपेयी कविताएँ, Suryakant Tripathi “Nirala” Poems In Hindi|सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला कविताये, देशभक्ति पर कविताएँ Patriotic Poems in Hindi | Desh Bhakti Kavita Sangrah, Harivansh Rai Bachchan Poems | हरिवशं राय बच्चन की कविताएँ | Agneepath Poem, Hindi Poems on Nature | प्रकृति पर कविताएँ| प्रकृति पर हिंदी बाल कविताएँ, सुभद्राकुमारी चौहान कविताएं | Subhadra Kumari Chauhan Poems in Hindi, महादेवी वर्मा कविताएँ | Mahadevi Verma Poems in Hindi, Sohanlal Dwivedi Poems | सोहनलाल द्विवेदी कविताएं, 12 Hindi Poems On Water | पानी पर कविता “जल ही जीवन है”, 12 Hindi Poems On Animals | जानवरों पर हिन्दी कविताएँ, Birds Poems in Hindi | पक्षियों पर कविताएँ | पंछी पर कविता, 8 Best Poems on Peacock In Hindi | मोर पर कविता, 10 Poems on Sister in Hindi | बहन पर कविताएँ, 10 Farewell Poems in Hindi | विदाई समारोह कविता, Happy Navratri Wishes In Hindi 2020: नवरात्रि की शुभकामनाएँ |, Happy Dussehra Shayari in Hindi 2020: दशहरा शायरी 2020, Happy Dussehra Images 2020: HD Wallpapers, Photos and GIFS, Happy Dussehra Wishes in Hindi 2020 | दशहरा की शुभकामनाएं, Happy Dussehra Wishes 2020 | Happy Navratri Wishes 2020, 77+ Hindi Attitude Status for Girls| Nakhre Status | Royal Attitude, 84+ Marathi Ukhane | नवरदेवासाठी उखाणे | नवरी मुलीचे उखाणे | मराठी उखाणे, Happy Diwali Wishes 2020: Short wishes, Messages and greetings, Shubh Vivah Shayari | शुभ विवाह शायरी हिंदी | शादी मुबारक शायरी.
!कौरवो की भीड़ हो या पाण्डवो का नीर होजो लड़ सका है वही तो महान है !! Piyush Mishra Quotations The major cause of failure lies deep inside us, where there is a box inside which we have hidden all our sorrowful memories, regretful sins and bunch of fears. Now all we need is to find the key to it... All quotations of Piyush Mishra Your email address will not be published. I hope you liked the best Piyush Mishra Poems Please share this Piyush Mishra Poetry with your freinds and thanks for reading पीयूष मिश्रा की कविताए. Required fields are marked *. https://www.amarujala.com/kavya/irshaad/piyush-mishra-best-hindi-poem Piyush Mishra - the 52-year-old actor, poet, singer, lyricist, dialogue writer and orator is a man who can win you for life with his words. कहाँ उड़ा. Your email address will not be published. पूरे 300 दिन हुए हैं कुछ हुए हम लोग भाई बहन बन चुके हैं क्या? Hindi Poet:Piyush Mishra,Hindi Poems of Piyush Mishra,Collection of Piyush Mishra Hindi Indian Poems 10 Verses By Piyush Mishra That Show How Deeply A Poet Understands Life. Be it his songs or his live poetry sessions, Mishra is extraordinary for reasons more than one. Home » Poems » 15 Best Piyush Mishra Poems | पीयूष मिश्रा की कविताए, Looking for the best Piyush Mishra Poems? Piyush Mishra is a famous poet whio is famous for his poems like, कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया One Night Stand, मेरा रँग दे बसन्ती चोला and आरम्भ है प्रचण्ड बोल मस्तको के झुण्ड. 50.1K shares; WhatsApp; Share; Tweet; Facebook Messenger; ADVERTISEMENT. by Shriya Joshi. 15 Best Piyush Mishra Poems | पीयूष मिश्रा की कविताए. कल सब अपने अपने देश लौट जाएँगे मैंने ग़लत नाम बताया है उसने भी झूठ ही कहा होगा ज़्यादा सोचना बेवक़ूफ़ी है अब जो होगा सो होगा लानत ऐसे जीवन पर जो कभी न फ़िसले दृढ़ कदम बाहर निकले. !जीत की हवस नहीं किसी पे कोई बस नहीं क्याज़िन्दगी है ठोकरों पर मार दो,मौत अन्त हैं नहीं तो मौत से भी क्यों डरेये जाके आसमान में दहाड़ दो ! कागज़ पर देखें तो आज़ादी मेरा नाम है. आरम्भ है प्रचण्ड बोल मस्तकों के झुण्डआज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो,आन बान शान या की जान का हो दानआज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!! !जिस कवि की कल्पना में ज़िन्दगी होप्रेम गीत उस कवि को आज तुम नकार दो,भीगती नसों में आज फूलती रगों मेंआज आग की लपट तुम बखार दो !!! मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण लेवही तो एक सर्वशक्तिमान है,विश्व की पुकार है ये भगवत का सार है कीयुद्ध ही तो वीर का प्रमाण है !! वो दया का भाव या की शौर्य का चुनावया की हार को वो घाव तुम ये सोच लो,या की पूरे भाल पर जला रहे वे जय का लाल,लाल ये गुलाल तुम ये सोच लो,रंग केसरी हो या मृदंग केसरी होया की केसरी हो लाल तुम ये सोच लो ! So please share these पीयूष मिश्रा की कविताए, उस घर से हमको चिढ़ थी जिस घरहरदम हमें आराम मिला…उस राह से हमको घिन थी जिस परहरदम हमें सलाम मिला…, उस भरे मदरसे से थक बैठेहरदम जहां इनाम मिला…उस दुकां पे जाना भूल गएजिस पे सामां बिन दाम मिला…, हम नहीं हाथ को मिला सकेजब मुस्काता शैतान मिला…और खुलेआम यूं झूम उठेजब पहला वो इन्सान मिला…, फिर आज तलक ना समझ सकेकि क्योंकर आखिर उसी रोज़वो शहर छोड़ के जाने काहम को रूखा ऐलान मिला…, मुंह से निकला वाह-वाहवो शेर पढ़ा जो साहब नेउस डेढ़ फीट की आंत में ले केज़हर जो मैंने लिक्खा था…, वो दर्द में पटका परेशान सरपटिया पे जो मारा थावो भूख बिलखता किसी रात कापहर जो मैंने लिक्खा था…, वो अजमल था या वो कसाबकितनी ही लाशें छोड़ गयावो किस वहशी भगवान खुदा काकहर जो मैंने लिक्खा था…, शर्म करो और रहम करोदिल्ली पेशावर बच्चों कीउन बिलख रही मांओं को रोकठहर जो मैंने लिक्खा था…, मैं वाकिफ था इन गलियों सेइन मोड़ खड़े चौराहों सेफिर कैसा लगता अलग-थलग-साशहर जो मैंने लिक्खा था…, मैं क्या शायर हूं शेर शाम कोमुरझा के दम तोड़ गयाजो खिला हुआ था ताज़ा दमदोपहर जो मैंने लिक्खा था…, वह लोग बहुत खुशकिस्मत थेजो इश्क़ को काम समझते थेया काम से आशिकी करते थेहम जीते जी मसरूफ रहेकुछ इश्क़ किया कुछ काम कियाकाम इश्क़ के आड़े आता रहाऔर इश्क़ से काम उलझता रहाफिर आखिर तंग आकर हमनेदोनों को अधूरा छोड़ दिया(फैज़ साहब), वो काम भला क्या काम हुआजिस काम का बोझा सर पे होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजिस इश्क़ का चर्चा घर पे हो, वो काम भला क्या काम हुआजो मटर सरीखा हल्का होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजिसमे न दूर तहलका हो, वो काम भला क्या काम हुआजिसमें न जान रगड़ती होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजिसमें न बात बिगड़ती हो, वो काम भला क्या काम हुआजिसमें साला दिल रो जाएवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो आसानी से हो जाए, वो काम भला क्या काम हुआजो मज़ा नहीं दे व्हिस्की कावो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजिसमें ना मौक़ा सिसकी का, वो काम भला क्या काम हुआजिसकी ना शक्ल ‘इबादत’ होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजिसकी दरकार ‘इजाज़त हो, वो काम भला क्या काम हुआजो कहे ‘घूम और ठग ले बे’वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो कहे ‘चूम और भग ले बे ‘, वो काम भला क्या काम हुआकि मज़दूरी का धोखा होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ किजो मज़बूरी का मौक़ा हो, वो काम भला क्या काम हुआजिसमें ना ठसक सिकंदर कीवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजिसमें ना ठरक हो अंदर की, वो काम भला क्या काम हुआजो कड़वी घूँट सरीखा होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजिसमें सब कुछ मीठा हो, वो काम भला क्या काम हुआजो लब की मुस्कान खोता होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो सबकी सुन के होता हो, वो काम भला क्या काम हुआजो ‘वातानुकूलित’ हो बसवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो ‘हांफ के कर दे चित’ बस, वो काम भला क्या काम हुआजिसमें ना ढेर पसीना होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो ना भीगा ना झीना हो, वो काम भला क्या काम हुआजिसमें ना लहू महकता होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो इक चुम्बन में थकता हो, वो काम भला क्या काम हुआजिसमें अमरीका बाप बनेवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो वियतनाम का शाप बने, वो काम भला क्या काम हुआजो बिन लादेन को भा जाएवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो चबा ‘मुशर्रफ़’ खा जाए, वो काम भला क्या काम हुआजिसमें संसद की रंगरलियाँवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो रंग दे गोधरा की गलियाँ, वो काम भला क्या काम हुआजिसका सामां खुद ‘बुश’ हो लेवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो एटम-बम से खुश हो ले, वो काम भला क्या काम हुआजो ‘दुबई फ़ोन पे’ हो जाएवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो मुंबई आ के ‘खो’ जाए, वो काम भला क्या काम हुआजो ‘जिम’ के बिना अधूरा होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो हीरो बन के पूरा हो, वो काम भला क्या काम हुआकी सुस्त जिंदगी हरी लगेवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआकी ‘लेडी मैकबेथ’ परी लगे, वो काम भला क्या काम हुआजिसमें चीखों की आशा होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो मज़हब रंग और भाषा हो, वो काम भला क्या काम हुआजो ना अंदर की ख्वाहिश होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो पब्लिक की फ़रमाइश हो, वो काम भला क्या काम हुआजो कंप्यूटर पे खट-खट होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजिसमें ना चिठ्ठी ना ख़त हो, वो काम भला क्या काम हुआजिसमें सरकार हज़ूरी होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजिसमें ललकार ज़रूरी हो, वो काम भला क्या काम हुआजो नहीं अकेले दम पे होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो ख़त्म एक चुम्बन पे हो, वो काम भला क्या काम हुआकी ‘हाय जकड ली ऊँगली बस’वो इश्क़ भला का इश्क़ हुआकी ‘हाय पकड़ ली ऊँगली बस’, वो काम भला क्या काम हुआकी मनों उबासी मल दी होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजिसमें जल्दी ही जल्दी हो, वो काम भला क्या काम हुआजो ना साला आनंद से होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो नहीं विवेकानंद से हो, वो काम भला क्या काम हुआजो चन्द्रशेखर आज़ाद ना होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो भगत सिंह की याद ना हो, वो काम भला क्या काम हुआकि पाक़ जुबां फ़रमान ना होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो गांधी का अरमान ना हो, वो काम भला क्या काम हुआकि खाद में नफ़रत बो दूँ मेंवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआकि हसरत बोले रो दूँ में, वो काम भला क्या काम हुआकी की खट्ट तसल्ली हो जाएवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआकि दी ना टल्ली हो जाए, वो काम भला क्या काम हुआइंसान की नीयत ठंडी होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआकि जज़्बातों में मंदी हो, वो काम भला क्या काम हुआकि क़िस्मत यार पटक मारेवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआकि दिल मारे ना चटखारे, वो काम भला क्या काम हुआकि कहीं कोई भी तरक नहींवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआकि कड़ी खीर में फ़रक नहीं, वो काम भला क्या काम हुआचंगेज़ खान को छोड़ दे हमवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआइक और बाबरी तोड़ दे हम, वो काम भला क्या काम हुआकि आदम बोले मैं ऊँचावो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआकि हव्वा के घर में सूखा, वो काम भला क्या काम हुआजो एक्टिंग थोड़ी झूल के होवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआजो मारलॉन ब्रांडो भूल के हो, वो काम भला क्या काम हुआ‘परफार्मेंस’ अपने बाप का घरवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआकि मॉडल बोले में ‘एक्टर’, वो काम भला क्या काम हुआकि टट्टी में भी फैक्स मिलेवो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआकि भट्ठी में भी सेक्स मिले.
बाथरूम में पंद्रह मिनट से हूँ पैर इतने नहीं काँपे कभी कशमकश की आग में इंसान झुलस जाए, यह इल्म नहीं था हाँ या नहीं.. तीसरी बार ठण्डा पानी डाला है चेहरे पर बातें तो बड़ी बड़ी करती हूँ पुरुष के समान स्त्री के हक़ की अप्राकृतिक नैतिकता की ‘प्रश्न चिन्हों की रानी’ अख़बारों ने मुझे घोषित किया है. जला ही उजला शहर होगा जिसमें हम-तुम बनाएँगे घरदोनों रहेंगे कबूतर से जिसमें होगा ना बाज़ों का डर, मखमल की नाज़ुक दीवारें भी होंगीकोनों में बैठी बहारें भी होंगीखिड़की की चौखट भी रेशम की होगीचन्दन से लिपटी हाँ सेहन भी होगीसन्दल की ख़ुशबू भी टपकेगी छत सेफूलों का दरवाज़ा खोलेंगे झट सेडोलेंगे महकी हवा के हाँ झोंकेआँखों को छू लेंगे गर्दन भिगो केआँगन में बिखरे पड़े होंगे पत्तेसूखे से नाज़ुक से पीले छिटक केपाँवों को नंगा जो करके चलेंगेचर-पर की आवाज़ से वो बजेंंगेकोयल कहेगी कि मैं हूँ सहेलीमैना कहेगी नहीं हूँ अकेलीबत्तख भी चोंचों में हँसती-सी होगीबगुले कहेंगे सुनो अब उठो भीहम फिर भी होंगे पड़े आँख मूँदेकलियों की लड़ियाँ दिलों में हाँ गूँधेभूलेंगे उस पार के उस जहाँ कोजाती है कोई डगर…, चाँदी के तारों से रातें बुनेंगे तो चमकीली होगी सहरउजला ही उजला शहर होगा जिसमें हम तुम बनाएँगे घर, आओगे थककर जो हाँ साथी मेरेकाँधे पे लूँगी टिका साथी मेरेबोलोगे तुम जो भी हाँ साथी मेरेमोती सा लूँगी उठा साथी मेरेपलकों की कोरों पे आए जो आँसूमैं क्यों डरूँगी बता साथी मेरेउँगली तुम्हारी तो पहले से होगीगालों पे मेरे तो हाँ साथी मेरेतुम हँस पड़ोगे तो मैं हँस पड़ूँगीतुम रो पड़ोगे तो मैं रो पड़ूँगीलेकिन मेरी बात इक याद रखनामुझको हमेशा ही हाँ साथ रखनाजुड़ती जहाँ ये ज़मीं आसमाँ सेहद हाँ हमारी शुरू हो वहाँ सेतारों को छू लें ज़रा सा सँभल केउस चाँद पर झट से जाएँ फिसल केबह जाएँ दोनों हवा से निकल केसूरज भी देखे हमें और जल केहोगा नहीं हम पे मालूम साथीतीनों जहाँ का असर…, राहों को राहें भुलाएँगे साथी हम ऐसा हाँ होगा सफ़रउजला ही उजला शहर होगा जिसमें हम तुम बनाएँगे घर, जान ले अँधेरे के सर पे ख़ून चढ़ा है – (२), माना की तूने… हाँ, हाँ, चाहा नहीं था लेकिन, तुझे ये सारी दुनिया खा जाएगी निगल के – (२).